शुप्रभातम, जय श्री राधे - कृष्णा

Started by HARIVANSH NARAIN SRIVASTAVA on Thursday, April 25, 2013
4/25/2013 at 7:06 PM

शुप्रभातम,
जय श्री राधे - कृष्णा,

बदलाव नहीं होगा क्योंकि.......
सिर्फ नारे हैं यहाँ
कोई ज़िंदाबाद है
कोई मुर्दाबाद है
कहीं जुलूस हैं
हाथों में तख्तियाँ हैं
मोमबत्तियाँ हैं

सिर्फ आक्रोश है यहाँ
विरोध है
कुम्हार भी है
और उसकी चाक भी है
मगर नदारद है
बदलाव की चिकनी मिट्टी
क्योंकि
उसमे मिली हुई है रेत
टांग खिंचाई की।

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